न है वो सोना, चांदी, हीरा, मोती वह तो है हमारी प्रकृति। न है वो सोना, चांदी, हीरा, मोती वह तो है हमारी प्रकृति।
कभी करीब से देखो मौत को परवानो कि तरह, तो उसके दामन में गिरे अश्क में भीग जाने को दिल हो ही जायेगा। कभी करीब से देखो मौत को परवानो कि तरह, तो उसके दामन में गिरे अश्क में भीग जाने ...
Beautifulness of Inner Beauty Beautifulness of Inner Beauty
A poem about changing the centres A poem about changing the centres
लोगों से क्या, अब खुद से अंजान रह जाते हैं शीशे में भी हम, नज़र नहीं आते हैं|| लोगों से क्या, अब खुद से अंजान रह जाते हैं शीशे में भी हम, नज़र नहीं आते हैं||
कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा